हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सूर ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَإِنْ عَزَمُوا الطَّلَاقَ فَإِنَّ اللَّـهَ سَمِيعٌ عَلِيمٌ वाइन्ना अज़मूत तलाक़ा फ़इन्नल्लाहा समीउन अलीम (बकरा, 227)
अनुवाद: और यदि वे तलाक लेने का मन बना लें, तो निश्चय ही ईश्वर सब कुछ सुनने वाला और जानने वाला है।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ तलाक पर निर्णय लेना पुरुष के हाथ में है।
2️⃣ तलाक में शब्द और इरादा मान्य होते हैं।
3️⃣ पति-पत्नी के बीच अनबन होने पर तलाक ही अंतिम उपाय होता है।
4️⃣ सर्वशक्तिमान ईश्वर के अनुसार तलाक एक अवांछनीय कार्य है।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा